ONLINESTEDY4U THINGS TO KNOW BEFORE YOU BUY

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जानकीचट्टी और खरसाली से यमुनोत्री धाम पहुंचने का एक ही पैदल मार्ग है। करीब छह किमी लंबा यह मार्ग बेहद संकरा है और इस पर जाम भी लगा रहता है। बीते दिनों में मार्ग पर यही स्थिति बनी रही और यात्रा धक्कों के बीच चली। संकरा होने के साथ यह मार्ग कई स्थानों पर भूस्खलन प्रभावित भी है।

यात्रा के दौरान पानी, सनेक्स और आवश्यक समान अपने साथ रखना उचित होगा

चार धाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री) के लिए सरकार द्वारा पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। यह प्रक्रिया यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की सुविधा के लिए आवश्यक है।

तैयारी की कमी: चरम मौसम की घटनाओं के बार-बार होने के बावजूद, उत्तराखंड को आपदा की तैयारी और प्रतिक्रिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। राज्य का दुर्गम इलाका और दूरदराज के स्थानों के कारण बचाव और राहत अभियान कठिन हो जाते हैं।

  चार धाम यात्रा: आस्था, आध्यात्मिकता और संस्कृति का संगम भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर में चार धाम यात्रा का एक विशेष स्थान है। यह यात्रा उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित चार प्रमुख तीर्थस्थलों - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री - की है। इन तीर्थ स्थलों की यात्रा को हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। चलिए, इस यात्रा के महत्व को समझते हैं और जानते हैं कि यह हमारे जीवन में क्या स्थान रखती है। मान्यता के अनुसार इनमे से सबसे पहला धाम यमुनोत्री है जहां माँ यमुना के पावन जल मे भक्तों की देह पवित्र एवं शुद्ध हो जाती हैऔर माँ यमुना के दर्शन पाकर भक्त आध्यात्मिक शांति प्राप्त करता है  जो उत्तरकाशी जिले मे स्थित है ,इसके बाद दूसरा धाम गंगोत्री ( उत्तरकाशी ) धाम है जहां माँ गंगा के पावन जल मे स्नान कर भक्तों के  सभी  पाप धूल जाते है और माँ गंगा के दर्शन कर भक्त धन्य हो जाते है , तीसरा धाम केदारनाथ ( रुद्रप्रयाग ) है जहां पर स्वयं महादेव निवास करते है महादेव के इस पवित्र धाम का दर्शन कर भक्त अपने सभी विकारों से मुक्ति पाकर परम शांति और check here आध्

पदों को भरने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इन पदों के लिए इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। यहां हम पदों, पात्रता, आवेदन, प्रक्रिया, पाठ्यक्रम और परीक्षा की तारीख के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

यात्रा पास को यात्रा के दौरान हर समय अपने साथ रखना आवश्यक है। इसे यात्रा के दौरान विभिन्न जांच बिंदुओं पर दिखाना होगा।

ट्रेकिंग: यहाँ पर नंदा देवी, रूपकुंड, वैली ऑफ फ्लावर्स और हर की दून जैसी लोकप्रिय ट्रेकिंग रूट्स हैं।

मान्यता के अनुसार इनमे से सबसे पहला धाम यमुनोत्री है जहां माँ यमुना के पावन जल मे भक्तों की देह पवित्र एवं शुद्ध हो जाती हैऔर माँ यमुना के दर्शन पाकर भक्त आध्यात्मिक शांति प्राप्त करता है  जो उत्तरकाशी जिले मे स्थित है ,इसके बाद दूसरा धाम गंगोत्री ( उत्तरकाशी ) धाम है जहां माँ गंगा के पावन जल मे स्नान कर भक्तों के  सभी  पाप धूल जाते है और माँ गंगा के दर्शन कर भक्त धन्य हो जाते है , तीसरा धाम केदारनाथ ( रुद्रप्रयाग ) है जहां पर स्वयं महादेव निवास करते है महादेव के इस पवित्र धाम का दर्शन कर भक्त अपने सभी विकारों से मुक्ति पाकर परम शांति और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करता है , अंतिम धाम है बद्रीनाथ  (चमोली ) जहां  भगवान विष्णु का धाम है जिसके दर्शन पाकर भक्त मोक्ष की प्राप्ति करता है

गौमुख ट्रेक के लिए वन विभाग से परमिट लेना आवश्यक होता है। यह परमिट गंगोत्री में वन विभाग के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। प्रतिदिन सीमित संख्या में ही ट्रेकर्स को जाने की अनुमति दी जाती है, इसलिए अग्रिम बुकिंग की सलाह दी जाती है।

राधा स्वामी सत्संग ब्यास के नए प्रमुख के रूप में जसदीप सिंह गिल की नियुक्ति को समुदाय ने उत्साह के साथ स्वीकार किया है, क्योंकि उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो राधा स्वामी पथ के मूल्यों और शिक्षाओं को बनाए रखेंगे। उनके नेतृत्व में, डेरा ध्यान, सेवा और आध्यात्मिक शिक्षा पर अपना जोर बनाए रखने की उम्मीद है।

ढोल दमाऊ ( एक पहाड़ी वाध्य यंत्र ) की धुन पर झूमते लोग एक दूसरे पर माखन ओर मट्ठा,दूध की पिचकारी मारते हुये मस्ती मे झूमते है ।  स्थानीय महिलाये पहाड़ी पोसाख पहन कर रासो नृत्य आदि करते है । बाहर से आए हुए लोग भी इस पर का आनंद लेते है । 

इससे पहले वाले ब्लॉग मे हमने जाना चार धाम यात्रा के महत्व के बारे मे आज हम जानेंगे चारों धामों के बारे मे संदर्भ में .. 

ट्रेकिंग: दयारा बुग्याल के लिए ट्रेक मध्यम कठिनाई वाला है और आसपास की हिमालयी चोटियों, जैसे बंदरपूंछ, काला नाग आदि का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यह ट्रेक आमतौर पर बारशु  नामक एक छोटे से गाँव से शुरू होता है, जो उत्तरकाशी से सुलभ है।

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